



कटनी रेलवे स्टेशन पर अवैध वेंडरों की बढ़ती संख्या यात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य दोनों के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। जैसे ही कोई ट्रेन प्लेटफार्म पर पहुंचती है, दर्जनों अवैध वेंडर सक्रिय हो जाते हैं और बिना किसी अनुमति के खाद्य सामग्री बेचने लगते हैं।
खाद्य सुरक्षा पर बड़ा सवाल
रेलवे के नियमों के अनुसार, किसी भी वेंडर को स्टेशन पर खाद्य सामग्री बेचने के लिए तीन चीज़ें अनिवार्य हैं:
वैध मेडिकल कार्ड
रेलवे से अधिकृत पहचान पत्र (आई कार्ड)
पुलिस वेरीफिकेशन
लेकिन हकीकत यह है कि कई वेंडर सिर्फ आई कार्ड बनवाकर खुद को वैध बताते हैं, जबकि बाकी प्रक्रिया पूरी नहीं करते। इससे जहरखुरानी जैसे अपराधों का खतरा बना रहता है।
आरपीएफ की लचर कार्यवाही
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की जिम्मेदारी है कि ऐसे अवैध वेंडरों पर सख्त कार्रवाई करें, लेकिन कार्रवाई नाम मात्र की होती है। जुर्माना भरने के बाद यही वेंडर फिर से प्लेटफॉर्म और बोगियों में सक्रिय हो जाते हैं। RPF की यह कागजी कार्रवाई सालभर आंकड़ों तक ही सीमित रहती है।
ट्रेन आते ही उमड़ते हैं वेंडर
जब स्टेशन पर कोई ट्रेन नहीं होती, तो प्लेटफॉर्म पर वेंडरों की संख्या बेहद कम होती है। लेकिन ट्रेन के आते ही 50 से अधिक अवैध वेंडर अचानक प्लेटफॉर्म और बोगियों में सक्रिय हो जाते हैं। कई वेंडर आउटर से ट्रेनों में चढ़ते हैं और अगले स्टेशन से पहले उतर जाते हैं, जिससे यात्रियों को परेशानी होती है।
यात्रियों से वसूली और असुरक्षा
ये अवैध वेंडर न केवल संदिग्ध गुणवत्ता वाली खाद्य सामग्री बेचते हैं, बल्कि यात्रियों से मनमाने दाम भी वसूलते हैं। इसके अलावा, ट्रेनों में किन्नरों की भी सक्रियता बढ़ रही है, जिससे यात्रियों को असहजता का सामना करना पड़ता है।
समाधान की आवश्यकता
रेलवे प्रशासन को इस गंभीर समस्या पर सख्ती से ध्यान देना होगा। अवैध वेंडरों पर कठोर कार्रवाई, निगरानी व्यवस्था में सुधार और यात्रियों की शिकायतों पर त्वरित संज्ञान लेकर ही स्टेशन की व्यवस्था सुधर सकती है।