कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र सुनकर भावुक हुए श्रोता… सुदामा चरित्र जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने की हमें सीख देता है: श्री मुरारीदास जी

रीठी। ग्राम खम्हरिया नं.1 रीठी में पूज्य बाबा हरीदास महाराज के बंगले में चल रही श्रीमद भागवत कथा में सभी भक्तों को कथा व्यास हरि  1008 श्री मुरारीदास जी द्वारा सप्तम दिवस की कथा श्रवण कराई गई। जिसमे भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा चरित्र की मित्रता व सुखदेव विदाई का वर्णन किया।

उन्होंने कहा कि मित्रता में गरीबी और अमीरी नहीं देखनी चाहिए। मित्र एक दूसरे का पूरक होता है। भगवान कृष्ण ने अपने बचपन के मित्र सुदामा की गरीबी को देखकर रोते हुए अपने राज सिंहासन पर बैठाया और उन्हें उलाहना दिया कि जब गरीबी में रह रहे थे तो अपने मित्र के पास तो आ सकते थे, लेकिन सुदामा ने मित्रता को सर्वोपरि मानते हुए श्रीकृष्ण से कुछ नहीं मांगा। उन्होंने बताया कि सुदामा चरित्र हमें जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने की सीख देता है। सुदामा ने भगवान के पास होते हुए अपने लिए कुछ नहीं मांगा। अर्थात निस्वार्थ समर्पण ही असली मित्रता है। कथा के दौरान परीक्षित मोक्ष व भगवान सुखदेव की विदाई का वर्णन किया गया। कथा के बीच-बीच में भजनों पर श्रद्धालुओं ने नृत्य भी किया। इस दौरान बड़ी संख्या में महिला पुरुष श्रोता उपस्थित हुए। कथा व्यास ने बताया कि भागवत कथा का श्रवण से मन आत्मा को परम सुख की प्राप्ति होती है। भागवत में बताए उपदेशों उच्च आदर्शों को जीवन में ढालने से मानव जीवन जीने का उद्देश्य सफल हो जाता है। सुदामा चरित्र के प्रसंग में कहा कि अपने मित्र का विपरीत परिस्थितियों में साथ निभाना ही मित्रता का सच्चा धर्म है! मित्र वह है जो अपने मित्र को सही दिशा प्रदान करे,जो कि मित्र की गलती पर उसे रोके और सही राह पर उसका सहयोग दे। इस अवसर पर  प्रमोद राय, सुक्खी लाल यादव, गुलाब सिंह, अवधेश बैरागी, रामसिंह, गुड्डू श्रीवास, नरेश यादव, संत कुमार यादव, सुपरत सिंह,  सुखदेव यादव,  सहाय यादव, विश्वनाथ यादव, करन राठौर, भोला नामदेव, रामनाथ यादव, बारे लाल सहित ग्रामवासियों की आज बडी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थित रही।

भागवत कथा आयोजक

समस्त ग्रामवासी ग्राम खम्हरिया रीठी कटनी

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