



मध्य प्रदेश में रिश्वतखोरी का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है बात करें तो प्रशासनिक महकमे में कार्य के प्रति रिश्वत का खेल लगातार लोकायुक्त की कार्यवाही से किस तरह से सामने आ रहा है। फिर भी इस पर कोई लगाम लगती नजर नहीं आ रही है। बहरहाल बात करे तो कटनी जिले में गुरुवार को लोकायुक्त जबलपुर की टीम की डीएसपी नीतू त्रिपाठी, निरीक्षक मंजू किरण तिर्की, नरेश बेहरा सहित 5 अन्य सदस्यों की टीम ने सचिव को 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। बतादे कि ग्राम पंचायत खडोला के सचिव शुभराज सोनी को 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। जिसकी शिकायत ग्राम चनेहटी निवासी बल्लू यादव दारा दर्ज कराई थी जहा बैंक से लोन लेने के लिए उसने ग्राम पंचायत से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन दिया था।
मंजू किरण तिर्की लोकायुक्त निरीक्षक जबलपुर
जिसके एवज में सचिव शुभराज सोनी द्वारा 35 हजार रुपए की मांग की जा रही थी, शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस जबलपुर ने गुरुवार की दोपहर यह कार्यवाही की वही म.प्र के बैतूल के आठनेर में लोकायुक्त की टीम ने एक पटवारी को 4000 रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा है। जहां किसान की भूमि का सीमांकन करने के बाद प्रतिवेदन देने के लिए पटवारी ने 10 हजार रूपये की रिश्वत मांगी थी किसान ने लोकायुक्त से शिकायत की जिस पर गुरुवार को भोपाल से पहुंची टीम ने तहसील कार्यालय आठनेर में चार हजार रूपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
लोकायुक्त भोपाल से प्राप्त जानकारी के अनुसार आठनेर तहसील के ग्राम सावंगी निवासी किसान कमलेश चढ़ोकर ने 27 नवंबर 2024 को लिखित शिकायत लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक भोपाल के समक्ष प्रस्तुत की। शिकायतकर्ता ने बताया कि ग्राम गोलखेड़ा में उसकी स्वयं की 1 एकड़ 406 डिस्मिल कृषि भूमि है। भूमि के सीमांकन के लिए उसके द्वारा लोक सेवा गारंटी में तीन अक्टूबर 2024 को आवेदन किया गया था।
रजनी तिवारी लोकायुक्त निरीक्षक भोपाल
आवेदन के आधार पर 25 अक्टूबर 2024 को पटवारी प्रफुल्ल बारस्कर द्वारा भूमि की नाप की गई थी परन्तु सीमा का निर्धारण नहीं किया गया। जिसपर शिकायतकर्ता ने जब पटवारी प्रफुल्ल बारस्कर से मिलकर सीमा निर्धारण और सीमांकन प्रतिवेदन देने की बात की तो पटवारी प्रफुल्ल बारस्कर द्वारा 10000 रुपये रिश्वत की मांग की गई। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर शिकायत का सत्यापन किया गया और शिकायत सत्यापन के दौरान अनावेदक पटवारी ने आवेदक कमलेश से 4000 रूपये रिश्वत देने को कहा। शिकायत सही पाए जाने पर निर्देशानुसार अनावेदक पटवारी प्रफुल्ल बारस्कर के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) की धारा 7 का प्रकरण पंजीबद्ध किया गया।
कब थमेगा रिश्वतखोरी का सिलसिला
मध्य प्रदेश में लगातार लोकायुक्त की दबिश और कार्यवाही के बावजूद भ्रष्टाचार पर कब लगाम लगेगी आज भी यह सवाल बना हुआ है। या लोकायुक्त की कार्यवाही में और भी कड़े कानून बनाए जाएंगे जिससे यह रिश्वत का खेल थमने का नाम लेगा और लोगों को ऐसे भ्रष्टाचारीयो से राहत मिलेगी यह देखने वाली बात होगी।